उड़ीसा: अकेले की गयी पहली यात्रा
मेरी पहली अकेले की गयी यात्रा दिल्ली से ओडिशा तक की थी। ओडिशा इसीलिए क्योंकि वहाँ कोई अपना रहता है, वरना हमारे समाज में अक्सर अकेली बेटी को पहली बार कहाँ ही अकेले जाने की इज़ाज़त दी जाती है! अब, जाने का तय हो चुका था, सामान भी समेट लिया था और जाने की इतनी ख़ुशी थी कि पता नहीं क्या-क्या रख लिया था। ओडिशा, मैं उस व्यक्ति से मिलने गयी थी जो मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं । बचपन से लेकर अभी तक उनके लाड़-प्यार ने हमेशा सराहा है । उनसे मिलने की उत्सुकता में मानो ट्रेन का सफ़र सामान्य से अधिक प्रतीत हो रहा था। और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि वहाँ किसी को भी मेरे आने की खबर नहीं थी। वहाँ पहुँचकर सबके चेहरों की ख़ुशी देखने के बाद मुझे मेरा वहाँ जाना सार्थक मालूम पड़ा। खैर, आगे बढ़ते हैं…मेरे लिए जगन्नाथ जी की नगरी ओडिशा एकदम असाधारण शहरों में से एक है। वहाँ बिताया गया 10 दिन मेरे जीवन के सबसे ख़ूबसूरत पलों में से एक है। ओडिशा उत्कृष्ट मंदिरों, विस्मयकारी स्मारकों, मनमोहक समुद्र तटों, आश्चर्यजनक रूप से सुंदर परिदृश्यों, वन्यजीव अभयारण्यों और बहुत कुछ का स्थान है जहाँ कलाकार और शिल्पकार को ...