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The Detachment Theory (Part 2)

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हम सब अपने जीवन में रिश्तों से घिरे होते हैं—परिवार, दोस्त, रिश्तेदार—जो हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। लेकिन, कभी-कभी इन्हीं रिश्तों में उलझकर हम अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं। यहां हमें ‘अलगाव का सिद्धांत’ समझने की आवश्यकता होती है। अलगाव का मतलब रिश्तों को छोड़ना नहीं, बल्कि उनके प्रति एक संतुलित दृष्टिकोण रखना है, ताकि हम सुखी और शांतिपूर्ण जीवन जी सकें। अलगाव का सिद्धांत क्या है? अलगाव का सिद्धांत बताता है कि हमें हर परिस्थिति और हर व्यक्ति से एक हद तक जुड़ाव रखना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि हम रिश्तों को तोड़ दें, बल्कि यह समझें कि कोई भी व्यक्ति या परिस्थिति हमारे आंतरिक शांति और खुशी के लिए जिम्मेदार नहीं है। यह सिद्धांत हमें सिखाता है कि बिना अपेक्षाओं के अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए। जीवन में अलगाव क्यों जरूरी है? अपरिपक्व अपेक्षाओं से बचाव: रिश्तों में अक्सर हम दूसरों से अपेक्षाएं रखते हैं। अगर हमें दूसरों से अपेक्षित व्यवहार नहीं मिलता तो हम दुखी और निराश हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि आप सोचते हैं कि आपका दोस्त हर परिस्थिति में आपके साथ रहेगा और एक दिन व...