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उदय से अस्त तक का सफ़र: बनारस

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आर्ट गैलरी    अस्सी से मणिकर्णिका तक मानो जीवन का सफ़र देखा है  चहल-पहल सी जिन्दगी को श्मशान में ढलते देखा है  बेशक दरभंगा घाट की सुबह सुकून देती हो, पर  सम्पूर्ण बनारस को अपने जीवन में ढलते देखा है ! “ वाराणसी कहो , बनारस कहो या काशी…यह भूमि लोगों के जीवन में स्थिरता लाती है।” बनारस वह स्थान है, जहाँ जाकर मनुष्य अपने आत्मा को आध्यात्म से जोड़कर, परमात्मा की प्राप्ति तक का द्वार खोल सकता है । माँ गंगा के उस  निश्चल, निरंतर बहते हुए  जल को देखकर ऐसी असीम शांति की प्राप्ति होती है जैसी शांति मनुष्य परमात्मा की प्राप्ति पर या मरणोपरांत पाता है । यही असल मायने में ‘आध्यात्म’ है । गंगा की बहती कल-कल धारा में जब  लहरों द्वारा अपना रौद्र रूप दिखाया जाता है, तब मानो वह जीवन की उन सभी परेशानियों को एक साथ दर्शा रही होती है, जिससे  मनुष्य कदम-कदम पर अपने जीवन में जूझता है । इस शहर को किसी भी नाम से जानो या पुकारो, यह स्थान आपके जीवन में एक ऐसी छाप छोड़ता है, जो आपके मन और मस्तिष्क को जीवन के नए आयामों से अवगत करवाती है।  वो दिन मुझे अब भी याद है जब ब...