अनुभूति
जब जीवन आप पर बुरे वक़्त के रूप में आप पर कठिन प्रहार करता है, तो वह आपको पूर्णतः बदल देता है। उस एक घटना मात्र से ही आपमें अनेक बदलाव आने लगते हैं। उसके बाद आप एक अलग व्यक्ति बन जाते हैं। और मैं एक उदास, नकारात्मक आत्मा बन गई। मैंने खुद को आश्वस्त किया कि मैं फिर से कभी खुश नहीं रह सकती। ऐसा भी नहीं है कि मैंने इससे लड़ने की कोशिश नहीं की। मैंने वह सब कुछ आजमाया जो लोग आपको सुझाते हैं। मैंने अनेक प्रेरणादायक फिल्में देखीं। मैंने खूब खुशनुमा गाने सुने। मैंने कई सेल्फ हेल्प बुक को पढ़ना शुरू कर दिया। मैंने प्रेरक वीडियो देखने शुरू किये। मैंने नए दोस्त बनाये। मैं अपने आप को व्यस्त रखने लगी। इन सभी के अलावा मैंने एक यात्रा भी की। लेकिन मुझेमें कुछ भी ठीक नहीं हुआ। और इस कारण मेरा दिल और बुरी तरह टूट गया। मैं इतना असहाय, इतना हताश और इतना प्रयासरत महसूस कर रही थी कि मैंने फिर से खुश रहने के इस मिशन को छोड़ने का फैसला कर लिया। तब, मैंने अपने दुख को अपनी नियति मान लिया। मैंने इसे अपने ऊपर किसी का श्राप समझकर अपना लिया। हालांकि मैं कभी यह नहीं जान पायी कि मैंने इसके लायक होने के लिए क्...