सुकून और भाव का मिश्रण: मनाली
"सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ"
- ख़्वाजा मीर दर्द
मनाली, पहाड़ी ढलानों के बीच, मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्यों, आकर्षक जलधाराओं, छोटे छिपे हुए कॉटेज के आसपास परियों की कहानी जैसा कोहरा, और चीड़ और ताजगी की एक लंबी सुगंध के साथ पहाड़ प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है।
कुछ समय की तलाश में एक परिवार, कुछ शांति के लिए जोड़े, कुछ एकांत के लिए अकेले यात्री या रोमांच की तलाश में दोस्तों का समूह। मनाली हर तरह की यात्रा मानसिकता की जरूरतों को पूरा करता है।
मेरी यात्रा दिल्ली के कश्मीरी गेट से वॉल्वो एसी स्लीपर से शुरू हुई। और मैं कुल्लू की लंबी यात्रा और संकरी सड़कों को तय करके सुबह 6 बजे मनाली पहुंच गयी लेकिन साथ ही हरे-भरे पहाड़ों और झरनों की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद भी लिया। मेरा होटल वोल्वो बस स्टैंड के बहुत करीब था और चेक इन करने के बाद मैंने कुछ देर के लिए तरोताजा होकर आराम किया।
स्वादिष्ट नाश्ते के बाद सुबह, मैंने सोलंग घाटी का दौरा किया, जो हरे-भरे पहाड़ों के अच्छे दृश्य प्रस्तुत करता है, और आप यहाँ सर्दियों में ग्लेशियर और बर्फ से ढकी चोटियां भीं देख सकते हैं। आप यहाँ आकर स्कीइंग, ज़ोरबिंग, पैराग्लाइडिंग, हॉर्स राइडिंग जैसी विभिन्न गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। मैंने यहां हिमालय की आश्चर्यजनक सुंदरता का आनंद लिया। यह जगह पृथ्वी पर स्वर्ग है।
दुनिया को हिमालय का उपहार, मनाली सुरम्य ब्यास नदी घाटी में बसा एक खूबसूरत शहर है। यह एक ऐसी जगह है जो अपनी ठंडी जलवायु और बर्फ से ढके पहाड़ों के लिए जाना जाता है, जो मैदानी इलाकों की चिलचिलाती गर्मी से बचने वाले पर्यटकों को राहत प्रदान करता है। मनाली में पर्यटन उद्योग 20वीं सदी की शुरुआत में ही फलने-फूलने लगा था, मुख्यतः इसकी प्राकृतिक प्रचुरता और स्वास्थ्यप्रद जलवायु के कारण।
कभी एक सुप्त गाँव, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सदियों पुरानी परंपराओं में बसा आधुनिक शहर अब भारत के सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है। यह स्थान शांति और असीम शांति का एक उत्कृष्ट मिश्रण है जो इसे प्रकृति प्रेमियों और साहसिक उत्साही लोगों के लिए स्वर्ग बनाता है, जो मुख्य पर्यटन स्थलों से हटकर प्रकृति को करीब से अनुभव करना चाहते हैं।
सोलांग घाटी के बाद वहाँ के प्रख्यात 'हिडिम्बा टेम्पल' को देखने गये। मंदिर का गर्भगृह एक गुफा मंदिर है जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें हिडिम्बा देवी के पैरों के निशान हैं। हिंदू महाकाव्य महाभारत में भीम की पत्नियों में से एक के रूप में हिडिम्बा है, जो कहानी में पांच पांडव राजकुमारों में से एक है। मनाली शायद भारत में एकमात्र ऐसी जगह है जहाँ उसे देवी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर दुनिया भर से भक्तों और वास्तुकला प्रेमियों को आकर्षित करता है।
एवं जिस जगह मै ठहरी थी, उस जगह का भी प्राचीनता से सीधा सम्बन्ध था। 'वशिष्ठ' - यह एक पवित्र गांव है जहां मनाली बाजार से एक पक्के रास्ते से आसानी से पहुंचा जा सकता है। गाँव में ऋषि वशिष्ठ को समर्पित एक मंदिर है, जिसका उल्लेख हिंदुओं की सबसे पुरानी धार्मिक पुस्तक ऋग्वेद में मिलता है। मंदिर के अलावा, एक गर्म पानी का झरना स्नान है जो इस छोटे से गाँव को देखने लायक बनाता है।
भोर में उन टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर मनाली पहुँचने से लेकर, होटल वालों के सुबह जागने का इंतज़ार करना, चाय के लिए हमेशा तैयार रहना, मैगी और मोमोस को जैसे घर का खाना समझ कर खाना, तैयार होकर बर्फ़ देखने की लालसा में निकल पड़ना, और फ़िर जिंदगी के कुछ महत्वपूर्ण लम्हों को अपने आँखों के सामने घटित होते हुए देखना, यह सब मेरे लिए बहुत ही अलग लेकिन खूबसूरत तजुर्बा था। वहाँ नज़ारों के साथ-साथ लोग भी बड़े खूबसूरत दिल के थे। मानो सुंदरता उनके मन में बसती हो। ये एक अनोखा व अविश्वाशनीय सफर था, जिसमें मैंने बहुत कुछ सीखा है।
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं "
- अहमद फ़राज़

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