दोस्त की शादी और बैजरो
उत्तराखंड भारत के उत्तर में स्थित एक अद्भुत राज्य है, जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यह राज्य प्रकृति की अनमोल संपदा और पवित्र नदियों के लिए प्रसिद्ध है। इस राज्य में घने जंगल, राजसी पहाड़ और शांत सुंदरता आपको खुद में खोने के लिए मजबूर कर देती है। ऐसे ही एक छोटे से गाँव का चित्रण है, जो "बैजरो" के नाम से प्रसिद्द है।
बैजरो उत्तराखंड के एक खूबसूरत गांव का नाम है, जहाँ के लोग एक सांझ के ढलक में खो जाते हैं। मैंने और मेरे दोस्तों ने अपने खास दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए एक अनोखी यात्रा की योजना बनाने का फैसला किया और पहुँच गये आनंद विहार बस अड्डे अपना सामन बाँध कर।
यात्रा की शुरुआत:
हमारी यात्रा प्रकृति और सौंदर्य से भरपूर आनंद विहार बस अड्डे से शुरू हुई। ISBT से बैजरो तक का सफर लगभग 380 किलोमीटर का था और हमने अपने दोस्त के साथ बस में सफर किया।
रास्ते में हमें कुछ दिलचस्प गांव भी दिखे, जिनका इतिहास हमें अपनी कहानी बताने पर मजबूर कर गया। विकास से दूर, इन गावों की सांझें अपने एक अलग दुनिया में बसी हुई थी।
और इस सफ़र में अगर मैं हमारे बस ड्राईवर भईया की बात न करूँ तो ये नाइंसाफी होगी। उनके गानों के प्लेलिस्ट से लेकर उनके बस चलाने के तरीक तक…सबकुछ कमाल था। मैंने और मेरे दोस्तों ने सचमुच खूब मज़े किये।
उत्तराखंड में आपका स्वागत है:
प्रकृति ही एक ऐसा स्थान हैं जिसके संपर्क में आकर सभी प्रसन्न हो जाते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य से मन को जो शांति और सम्पूर्णता का आभास होता है वो अतुलनीय है। और मुझे एवं मेरे तीन दोस्तों का इसका आभास तब हुआ जब बस उतराखंड में प्रवेश कर चुकी थी।
रात के अँधेरे में चमकता वो चन्द्रमा अपनी चांदनी से असीम शीतलता प्रदान कर रहा था। उसकी खूबसूरती आँखों से अभी भी ओझल नहीं हुई है। उस रात चंद्रमा देखकर मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे साक्षात महादेव ने अपने शीश पर इसे धारण किया है।
भोर की किरणों को देखकर लगा जैसे आसमान में अलग-अलग रंगों से इंद्रधनुष निर्मित किया गया है। ढलते सूरज से लेकर सुबह के सूर्योदय तक का सफर अविस्मरणीय था। अब भी आँखें मूंदकर अगर हम सभी उसे जीना चाहें तो हम ये कर सकते हैं। क्योंकि ऐसी खूबसूरती शायद ही कभी अनुभव की हो!
मैं जहाँ भी जाती हूँ वहाँ से उस स्थान और प्राकृतिक खूबसूरती को अपने ज़ेहन में बसाने का प्रयास करती हूँ। और इस यात्रा में भी केवल और केवल यही किया है। हाँ, पहाड़ो पर जाना और अपने गंतव्य तक पहुचना अपने आप में ही एक बड़ा काम है। मुझे वहां तक पहुचने में कितनी कठिनाई हुई है ये मुझसे बेहतर मेरे मित्रों को पता है क्योंकि अपने साथ-साथ मेरा ख़याल भी उन्ही लोगों ने रखा है।
प्रकृति की सुंदरता:
उस स्थान पर रहते हुए हमे ये एहसास हुआ कि प्रकृति का सौन्दर्य किसी भी शब्द में बयां नहीं हो सकता है। गावं के चारों और घने वन और बहते हुए नदियों ने हमे एक अद्भुत अनुभव दिया। हमने छत पर चढ़कर सारे बैजरो को एक नज़र देखा, जो एक अद्भुत तस्वीर बन गयी।
विवाह उत्सव:
मेरे दोस्त की शादी के दिन बैजरो में एक खास माहौल था। गांव के लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर आनंद लेने लगे। शादी की दावत, सांस्कृतिक नृत्य और भोजन ने सभी को बैजरो की संस्कृत से परिचित कराया। और उस दिन अपनी सहेली को शादी के जोड़े में देखना एक ऐसी अनुभूति थी जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। देखते देखते उसकी शादी भी हो गयी और उसकी बिदाई भी!!!
यकीनन यह हम सबके लिए कुछ तो अलग था जिसपर हम विश्वास नहीं कर पा रहे थे। लेकिन सच्चाई यही थी कि वो अपने घर जा चुकी थी।
इस अनोखी यात्रा के अंत के कुछ क्षणों में हम सभी साथ थे, खाने के लिए मैगी बनायीं, एक साथ मिलकर खाया, शायरी भी सुनी और खूब बातें की। आखिरकार हमने बैजरो को अपने दिल में रखा और निकल गये अपने-अपने घर लौटने के लिए।
उत्तराखंड के इस छोटे से गांव ने अपनी सुंदरता, संस्कृति और दोस्ती से लोगों को प्रभावित किया। उस छोटे से गाँव के सभी लोग हमे जान चुके थे। उन्हें मालूम था कि हम दिल्ली से वहाँ पहुंचे है और यह अपने आप में ही एक अनोखी बात थी। यह अनुभव हमारे लिए यादगार रहा और हमने अपने दोस्त की शादी के खास मौके पर अपनी यादों में एक नया अध्याय रचा।
उत्तराखंड के बैजरो गांव की यह यात्रा हमारे लिए एक अनमोल अनुभव बन गई, जिसे हम हमेशा याद रखेंगे। इस यात्रा ने हमारे मन को शांति, उम्र भर की दोस्ती और प्रकृति की सुंदरता से भर दिया और हम अपने दोस्त की ख़ुशी में इस अनोखी यात्रा को हमेशा याद रखेंगे।
अंततः मै ये जरुर कहूँगी कि आप कहाँ जा रहे वो तो मायने रखता ही है परन्तु आप किसके साथ जा रहे हैं वो उससे कहीं अधिक मायने रखता है। और इस यात्रा ने मानो मेरे इस कथन को सत्य कर दिया है।
मैं इस यात्रा को करने से पहले बहुत डरी हुई थी, पर जब मैं अपने दोस्तों के साथ बस में बैठी और यात्रा प्रारंभ हुई तो शायद आना और जाना दोनों मिलाकर मुझसे ज्यादा कोई ख़ुश नहीं होगा। बातें करते करते कब, कैसे समय निकल जा रहा था…पता ही नहीं चला।
मुझे सुनने के लिए, मुझसे बातें करने के लिए, इस यात्रा के दौरान मन बहलाने के लिए, मेरा ख़याल रखने के लिए, मुझे दवाइयां देने के लिए, खासकर मुझे इतना हंसाने के लिए और उम्र भर की यादें देने के लिए मेरी ऋतुजा, सुमित और अभिषेक का खूब-खूब आभार।

👍🏻😁
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका...... इस व्लॉग के माध्यम से मस्तिष्क के किसी भाग में रहीं यादों को फ़िर से एक जीवंतता प्रदान की और ईश्वर से यही प्रार्थना हैं कि आप की लेखनी शैली और भी बेहतर हो और आप लिखती रहें।☺️
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका....हम सब के खुशनुमा पलों को अपने ब्लॉग में समेटने के लिए। ❣️❣️
ReplyDeleteफूल खिलते हैं चमन में खिलते रहेंगे
मौका रहा तो ऐसे ही घूमते रहेंगे
और आप इससे भी शानदार लिखते रहेंगे।😜😜