स्व-प्रेरणा


मेरा मानना है कि दुःख/निराशा एक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हर सिक्के के दो पहलु होते हैं उसी प्रकार दुःख/पीड़ा/दर्द के भी हैं…यह केवल नकारात्मकता लेकर हमारे जीवन में प्रवेश नहीं करती है अपितु अगर हम इसके दुसरे पहलू पर गौर करें तो इससे हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं।

दर्द और संघर्ष के बिना आपके पास ताकत और अपना व्यक्तित्व कभी नहीं हो सकता है। नकारात्मक लोगों के बिना आप अपने जीवन में सकारात्मक लोगों की सराहना कभी नहीं कर सकते हैं। जीवन के उस एक अस्वीकृति के बिना आपको कुछ बेहतर करने के लिए निर्देशित नहीं किया जा सकता था। किसी एक व्यक्ति के यह कहे बिना कि आप यह नहीं कर सकते, आपको किसी कार्य को करने की प्रेरणा नहीं मिल पाती।  दुःख और अवसाद को महसूस किये बिना आज आपके पास करुणा की कमी हो सकती है और शायद कई लोगों में होगी भी। किसी भी दर्दनाक अंत के बिना आपको उस महान नई शुरुआत की ओर नहीं ले जाया जा सकता है।  


हर वस्तु/क्षण में एक कारण और एक उद्देश्य अवश्य होता है, और हर यही नही उसमें एक सच्चा आशीर्वाद होता है यदि आप इसे देखने के लिए अपनी आँखें खोल सकते हैं और इसे जानने के लिए अपना दिल खोल सकते हैं यह तभी आपके समक्ष दिखाई देगा।  


यह मत पूछो कि मैं क्यों!  यह मत कहो कि मैं इसके लायक नहीं था। आप पूछें कि मैं इसका उपयोग कैसे कर सकता हूं?  यह मुझे कैसे मजबूत, बेहतर और समझदार बना सकता है? अपने जीवन में दर्द को, दुःख को, निराशा को एक ईंधन के रूप में उपयोग करें ताकि आपको जहां भी जाने की आवश्यकता हो यह उर्जा बनकर आपको वहां ले जा सके। अपने जीवन को एक बेहतर स्थान पर ले जाने के लिए किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को आशीर्वाद के रूप में उपयोग करें। एवं विश्वास रखें कि कुछ अंत नई शुरुआत के लिए भेजे जाते हैं…हो सकता है कि उस समय आपको यह बहुत अच्छा न लगे, लेकिन अपना सिर ऊंचा रखें और इस तथ्य के प्रति सदैव खुले रहें कि आप बेहतर के हकदार हैं और यदि आप विश्वास करते रहेंगे तो आप बेहतर होते रहेंगे। 


हमेशा इस तथ्य के प्रति अपने आपको खुला रखें कि आप अभी पहेली का बाकी हिस्सा नहीं देख सकते हैं, लेकिन साथ ही यह भरोसा रखें कि यह एक उत्कृष्ट कृति होगी। हम सभी दर्द और कठिन समय का अनुभव करते हैं, हममें से केवल कुछ ही उस दर्द का उपयोग आगे बढ़ने के लिए करते हैं। इसके माध्यम से आगे बढिए…यदि आप अपने अंदर आगे बढ़ने का साहस पा सकें तो यह आपको  और बेहतर बनाएगा।  अपने दर्द के दूसरे पक्ष से अधिक मजबूत, बेहतर और समझदार बनकर सामने आएं। दुनिया को दिखने के लिए नहीं परन्तु खुद महसूस कीजिये उस आगे बढने वाले रास्ते को एवं उसे महसूस कर आगे बढ़ते रहिये। 


आपका महानतम जीवन आपके संघर्षों से मिलने वाली ताकत के बिना नहीं जिया  जा सकता। आपका सर्वोत्तम जीवन बड़ी चुनौतियों के बिना नहीं जिया जा सकता। और सदैव भरोसा रखें कि यह जीवन का एक हिस्सा है। दर्द में उद्देश्य खोजें। उन कुछ लोगों में से एक बनें जो कोलाहल भरे, अस्त-व्यस्त जीवन में भी एक छोटे से सुराग व सन्देश को पहचान कर उस दिशा में आगे बढ़ते हैं। उन कुछ लोगों में से एक बनें जो संघर्ष के माध्यम से ओहदा और ताकत हासिल करते हैं। वह बनिए जो जीवन द्वारा सिखाये गये पाठ में भी आशीर्वाद देखते हैं।



“श्री कृष्ण शरणम ममः”




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